पुराने समय में किसी राजा से दंड पाकर एक व्यक्ति काफी दूर से पैदल चलकर त्रिगर्त (काँगड़ा) पहुंच गया। यहां के वैद्यों के बारे में उस व्यक्ति ने बहुत कुछ सुना था। किसी अपराध के कारण उसका कान काट दिया गया था। उसे वह अपना कान जुड़वाना था। त्रिगर्त पहुंच कर उसे पता चला कि कई लोग हैं जो यहां नाक और कान जुड़वाने आए हैं। इनमे से कुछ सैनिक थे ..कुछ अपराधी थे.. और कुछ के अंग दुर्घटना में भंग और विकृत हुए थे| धीरे-धीरे त्रिगर्त (काँगड़ा) में इतने कान गढ़े गए कि त्रिगर्त इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गया|
कान गढ़ा वाला त्रिगर्त, काँगड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस कहानी के बारे में कई लोग ही जानते होंगे जब यह बात कई स्थानीय लोग नहीं जानते तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कैसे जानती होगी जो यह कहती है कि आयुर्वेदज्ञों से शल्य चिकित्सा या सर्जरी करवाना आधुनिक विज्ञान तंत्र का मजाक है।कांगड़ा में कान गढ़े जाने का काम यानी प्लास्टिक सर्जरी जारी रहती तो प्रमाण की आवश्यकता न होती।
Be the first to comment on "बहुत कम लोग ही जानते होंगे त्रिगर्त से काँगड़ा नाम का रहस्य"