प्रदेश में अब ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया तो 7 साल तक की सजा हो सकती है। प्रदेश के राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम-2019 के विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस कानून के प्रावधानों के तहत अब तीन माह से सात साल तक की सजा दी जाएगी। अलग-अलग वर्गों और जातियों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं।
इससे पहले 2006 के एक्ट में 2 साल की सजा थी। अब महिला, नाबालिग और अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से धर्म परिवर्तन के मामले में सात साल तक की सजा का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस आता है तो उसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
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