धर्मशाला : एक समय था जब इंसान पशुओं को अपने परिवार का सदस्य मानता था बदले में मवेशी भी इंसानों के व्यवहार के बदले में उन्हें काफी कुछ देते रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया लोगों ने अपने काम करने के तरीके बदल लिए और पशुओं को आवारा छोड़ना शुरू कर दिया। किसानों की परेशानी बनी बेसहारा पशुओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। हाल में तैयार हुई प्रदेश की पशु गणना की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि काफी संख्या में पशुओं को सड़कों पर खुले में छोड़ दिया जाता हैं। केंद्र सरकार की ओर से हर 5 साल बाद पशु गणना करवाई जाती है। 2017 में पशु गणना संबंधी प्रक्रिया शुरु हो गई थी। पशु गणना का जिम्मा पशुपालन विभाग को सौंपा गया था । गणना में गड़बड़ी रोकने के लिए पहली बार टेबलेट का इस्तेमाल किया गया तथा 2019 में यह गणना संपन्न हो गयी थी । प्रदेश की पशु गणना की रिर्पोर्ट के अनुसार बेसहारा पशुओं की संख्या में 12.91 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। 2012 में हुई 19वीं पशु गणना में प्रदेश में बेसहारा पशुओं की संख्या जहां 32160 थी तो अब 20वीं पशु गणना में यह संख्या बढ़कर 36311 तक पहुंच गई है। यानी की इस समय अवधि में बेसहारा पशुओं की संख्या में लगभग 12.91 फीसदी बढ़ौतरी हुई है।
प्रदेश में 20वीं पशु गणना में बेसहारा पशुओं की संख्या में 12.91 फीसदी की हुई बढ़ौतरी

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