लद्दाख में एक छोटा सा गांव चुशोत है, जहां हर घर में सैनिक है. यहां के निवासी Indian Army से जुड़े हुए हैं. यहां की womens का कहना है कि अगर उन्हें अच्छी शिक्षा मिले तो वे भी अपना भविष्य बेहतर कर सकती हैं|
Ladhakh के 63 घरों के एक छोटे से गांव के ज्यादातर लोग Indian Army से जुड़े हुए हैं. हर घर से जो कम उम्र के लोग हैं, वे Indian Army के Member हैं. जिनकी Posting Line of actual control के समीपवर्ती इलाकों में हुई है|
पीढ़ियों से चुशोत गांव के लोग Army को सेवाएं देते रहे हैं. यहां के लोग Ladhak Scout , Infantry Regiment का हिस्सा भी हैं. कोमल, विनम्र लेकिन खतरनाक योद्धा युवकों ने पुरानी परंपरा को जारी रखा है. इस गांव के ज्यादातर लोग ARMY को अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
गांव में महिलाएं ज्यादा दिखती हैं, कुछ छोटे बच्चे भी नजर आते हैं. इस गांव में ARMY में शामिल हुए लोग रहते हैं. जारा बानो की उम्र 34 वर्ष है. उनके Husband अपनी ड्यूटी निभाने के दौरान शहीद हो चुके हैं. उनके 3 भाई हैं जो army में हैं.
उनका कहना है, ‘मेरे 2 बेटे हैं, जो शायद Indian ARMY में शामिल हों. लड़कों के लिए यहां यही rule जैसा है.’
जारा बानो अपनी दोनों बच्चियों के carrier के प्रति स्पष्टता से नहीं सोच पा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरी 2 बेटियां को भी अच्छी education की जरूरत है. हमारे पास यहां अच्छे स्कूल नहीं हैं. मैं उनके भविष्य के बारे में निश्चित नहीं हूं.’
नहीं हैं बेहतर School
अन्य ग्रामीणों की भी यही चिंता है. Education का अभाव यहां लोगों को पीछे खींच रहा है. महिला और पुरुष दोनों की चिंताएं education को लेकर यहां एक सी हैं. हजिरा बानो के पास 3 भाई हैं. सभी Ladhakh Scout का हिस्सा हैं. सभी की तैनाती LAC के पास पूर्वी लद्दाख में हुई है.
उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि वे कैसे हैं.Phone Network यहां down है. मौजूदा हालात को देखते हुए उन्हें phone use करने की permission नहीं है.’
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27 साल की रुकैया बानो graduation करने गई थीं लेकिन उन्हें अपनी study बीच में ही छोड़नी पड़ी. वह फिलाहल national rural livelihood में काम करती हैं. सरकार के इस मिशन के जरिए महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है.
High School से ज्यादा नहीं पढ़ पा रही हैं लड़कियां
उनका कहना है कि यहां ज्यादातर लड़कियां High School से ज्यादा नहीं पढ़ती हैं. यहां लड़के 12वीं तक पढ़ते हैं, जिससे वे Indian army में शामिल हो सकें. जहां यहां रहने वाली कम उम्र की महिलाएं आगे बढ़कर बात करती हैं, वहीं बुजुर्ग महिलाएं अपने बच्चों की बात करने में झिझकती हैं.
सेना में शामिल होने वाले यहां के जांबाज लोगों को अगर अच्छी शिक्षा मिली तो ये सैन्य अधिकारी के तौर पर उभर सकते हैं.
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