राज्य सरकार ने आज मानसून के मौसम में पर्यावरणीय नुक्सान की जांच करने के लिए ,जयसिंहपुर उपखंड में सात स्टोन क्रशर को बिजली की आपूर्ति काट दी।
इस बीच, जयसिंहपुर में क्रशर एसोसिएशन के एक प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार का निर्णय अवैध था। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि खनन विभाग ने स्टोन क्रशर की बिजली आपूर्ति को बंद करते हुए पिक-एंड-चूज नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि केवल जयसिंहपुर उपखंड में ही बिजली आपूर्ति में कटौती की गई जबकि जिले के दुसरे हिस्सों क्रशर नियमित रूप से काम कर रहे हैं ।
उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग ने मनमाने तरीके से केवल औद्योगिक कनेक्शनों के लिए भी स्टोन क्रशर के साथ स्थित दर्जनों लेबर शेड को बिजली की आपूर्ति काट दी। छोटे शेड में रहने वाले कई मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बार-बार अनुरोध के बावजूद उनकी बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई।
मजदूरों ने कहा कि रात में सर्पदंश का खतरा बड़ा होता है क्योंकि अधिकांश स्टोन क्रशर ब्यास नदी और अन्य स्थानीय नालों के किनारे स्थित थे, जहाँ रोज़ाना सैकड़ों सांप देखे जाते थे।
सहायक अभियंता, एचपीएसईबीएल, कुलदीप कुमार ने कहा कि खनन अधिकारी, धर्मशाला के निर्देशानुसार बिजली की आपूर्ति को बंद कर दिया गया था, जिसमें घरेलू कनेक्शन भी श्रमिक झोपड़ी से जुड़े थे।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये आदेश 30 सितंबर तक लागू रहेंगे। इसके बाद सरकार स्थिति की समीक्षा करेगी।
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